बौद्ध विद्वान

बौद्ध शिक्षाओं का मुख्य उद्देश्य व्यति के मोक्ष या निर्वाण को सुरक्षित रखना था | बौद्ध धर्म ने औरतों व शूद्र के लिए दरवाजे खोल कर समाज मे एक नयी शुरुआत की | बौद्ध धर्म ने लोगों के बीच राष्ट्रीयता का प्रचार किया | बौद्ध भिक्षुओं ने पालि को संस्कृत के साथ मिलकर एक नई भाषा का निर्माण किया जिसे संकर संस्कृत कहा गया |
प्रमुख बौद्ध विद्वान निम्न हैं :
असंग और वसुबंधु :
असंग और वसुबंधु दोनों भाई थे तथा वे पाकिस्तान मे पेशावर से थे | वे योगाचार व अभिधम्म की शिक्षाओं के समर्थक थे | वसुबंधु का सबसे महत्वपूर्ण कृति अभिधर्ममोक्ष था |
अस्वघोष :
कालीदास की तरह अस्वघोष महान भारतीय कवि थे | वास्तव में वह प्रथम संस्कृत नाटककार थे | वह कुषाण के राजा कनिष्क के दरबार में राजसभा लेखक व धार्मिक सलाहकार के रूप मे कार्य करते थे | इनके प्रमुख कृतियाँ हैं महालंकारा, सौंदरानंदकाव्य (नन्द के जीवन की व्याख्या ) और बुद्धचरित |
बुद्धघोष :
बुद्धघोष के नाम का अर्थ है बुद्ध की आवाज़ | वह लगभग 5वी सदी तक जीवित रहे और एक महान पालि विद्वान थे | इन्हे तेहरवाद को सबस्र महत्वपूर्ण टीकाकार मे से एक मान जाता था और इसके जीवन के बारे में महवांसा और बुद्धघोसूप्पट्टी में बताया गया है | बुद्धघोष मगध राज्य  से श्रीलंका गए और वहीं बस गए | इनकी सबसे महत्वपूर्ण कृति विसूद्धिमग्गा है |
चंद्रकीर्ति:
वह नालंदा विश्वविद्यालया में एक विद्वान थे और नागार्जुन के शिष्य थे | इनकी प्रमुख कृति प्रसन्नपदा थी |
धर्मकीर्ति :
वह लगभग 7वीं सदी तक जीवित रहे और बौद्ध संक्य के विचारक थे |  वह  कवि के साथ नालंदा विश्वविद्यालय में अध्यापक भी थे | वैध अनुभूतियों पर सात संधियाँ धर्मकीर्ति द्वारा लिखी गईं थीं |
दिन्नग :
इन्हें बौद्ध तर्क के संस्थापक के तौर पर जाना जाता है |
नागार्जुन :
नागार्जुन सातवाहन राजा गौत्मिपुत्र का समकालीन था | वह महायान बौद्ध धर्म के माध्यमिक विद्यालय के संस्थापक थे | इनकी सबसे प्रमुख कृति है मूलमध्यमककारिक | इसका अर्थ है बीच पग पर मौलिक छ्ंद | इन्होने एक सिद्धांत का प्रचार किया जिसे शून्यवाद के नाम से जाना गया |

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